Tuesday, September 11, 2018

बकरी- प्रजाति



  
बकरी पालन
आलेख एवं संकलन
डा. चन्दन कुमारवैज्ञानिक (पशुपालन उत्पादन एवं प्रबंधन) एवं श्री दया राम चैहान (तकनीकी अधिकारी)
कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ (राविसि कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर)

       भारत जैसे देशो में पशु पालन व्यवसाय सदियों से चला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन तो आय का प्रमुख स्रोत रहा है। ऐसा ही एक बहुत ही लोकप्रिय है उन में से एक है बकरी पालन व्यवसाय। बकरी पालन व्यापार एक लाभदायक व्यापार है. इस व्यापार के माध्यम से अच्छा खासा लाभ कमाया जा सकता है. कृषि के साथ भी बकरी पालन बहुत आसानी से किया जा सकता है . कई किसान ऐसे हैं, जो कृषि कार्य के साथ साथ पशुपालन करते हैं. यह फार्म कोई भी व्यक्ति कुछ सरल प्रक्रियाओं की सहायता से शुरू कर सकता है और पैसे कमा सकता है.

       यहाँ पर बकरी पालन सम्बंधित आवश्यक जानकारियों का वर्णन किया जा रहा है

      बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है  जो कम जमापूँजी  में अधिक मुनाफा देता है। इसके साथ यह जानवरों को एक अच्छा माहौल प्रदान कराता है। आज के युग में लोग बहुत से जानवरों का पालन करते हैं जिनका दाना-पानी और रहने की व्यवस्था उन्हें काफी महंगी पड़ती है। वहीं बकरी पालन एक सस्ता और 

टिकाऊ व्यवसाय है
जिसमें पालन का खर्च कम होने के कारण आप ज्यादा से ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं। बकरी पालकर बेचने का व्यवसाय आपके लिए बहुत ही फायदेमंद और उपयोगी साबित हो सकता है। 
   हमारे देश में विभिन्न नस्लों की बकरियां पायी जाती हैं, इनके नाम नीचे दिए जा रहे हैं. आप इनमे से किसी भी बकरी की नस्ल की सहायता से अपना बकरी पालन व्यापार आरम्भ कर सकते हैं.
   कृषि विज्ञानं केंद्र झाबुआ स्थित बकरी फार्म जो आर्य परियोजना के अंतर्गत स्थापित हुए हैं जिसमे मुख्यतः बर्बरी नस्ल की बकरी है जो बहुउपयोगी बकरी है जिसको घरों मैं बिना चराये पला जा सकता है। झाबुआ जिले के लिए जमुनापारी, बरबरी और सिरोही बकरी बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है


जमुनापारी बकरी : 
जमुनापारी नस्ल की बकरियां दूध के मामले में काफी बेहतर होती हैं. इस नस्ल की बकरी अन्य नस्ल की बकरियों की अपेक्षा अच्छा दूध देती है.
बकरी पालन के लिए एक व्यवस्थित स्थान की आवश्यकता होती है. इस कार्य के लिए स्थान का चयन करते हुए निम्न बातों पर ध्यान दें.
·         स्थान का चयन: सर्वप्रथम बकरी पालन के लिए ऐसे स्थान का चयन करें, जो शहर क्षेत्र से बाहर अर्थात किसी ग्रामीण इलाके में हो. ऐसे स्थानों पर बकरियां शहर के प्रदूषण तथा अनावश्यक शोर से सुरक्षित रहेंगी.
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