Tuesday, September 11, 2018

भिण्डी- रोग एवं कीट प्रबंधन



पौध संरक्षण-

भिंडी के रोग में यलोवेन मोजैक वाइरस एवं चूर्णिल आसिता तथा कीट मे मोयलाहरा तलेा, सफेद मक्खी, प्ररोहे एवं फल छेदक कीट, रडे स्पाइडर माइट मुख्य है।
रोग का नाम
लक्षण
नियंत्रण के उपाय

पीत शिरा रोग
पत्तियों की शिराएं पीली पडने
लगती है। पूरी पत्तियाँ एवं फल
भी पीले रंग के हो जाते है
पौधे की बढवार रुक जाती है।

आक्सी मिथाइल डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सीअथवा डायमिथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. की 1.5
मिली प्रति लीटर पानी में अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. अथवा एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एस. पी. की 5 मिली./ग्राम मात्रा प्रति
15 लीटर पानी

चूर्णिल
आसिता

इस रोग में भिंडी की पुरानी
निचली पत्तियों पर सफेद चूर्ण
युक्त हल्के पीले धब्बे पडने लगते
है। ये सफेद चूर्ण वाले धब्बे
काफी तेजी से फैलते है।
इस रोग का नियंत्रण न करने पर पैदावार 30
प्रतिशत तक कम हो सकती है।
इस रोग के
नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम मात्रा
अथवा हैक्साक®®®5 प्रतिशत ई.सी. की 1.5
मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 2 या 3
बार 12-15 दिनों के अंतराल पर छिडकाव
करना चाहिए।

प्ररोह एवं फल
छेदक

इस कीट का प्रकोप वर्षा ऋतु
में अधिक होता है। प्रारंभिक
अवस्था में इल्ली कोमल तने में
छेद करती है जिससे तना सूख
जाता है। फूलों पर इसके
आक्रमण से फल लगने के पूर्व
फूल गिर जाते है। फल लगने
पर इल्ली छेदकर उनको खाती
है जिससे फल मुड जाते हैं एवं
खाने योग्य नहीं रहते है।

रोकथाम हेतु क्युनालफॅास 25 प्रतिशत ई.सी.,
क्ल®रपायरिफॅास 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा
प्र®फेनफॅास 50 प्रतिशत ई.सी. की 2.5 मिलीमात्र
ा प्रति लीटर पानी क े मान से छिडकाव करे ं
तथा आवश्यकतानुसार छिडकाव  को द®हराएं।

हरा तेला,
®यला एवं
सफेद मक्खी

ये सूक्ष्म आकार के कीट पत्तियों,
कोमल तने एवं फल से रस
चूसकर नुकसान पहुंचाते है।

रोकथाम हेतु आक्सी मिथाइल डेमेटान 25
प्रतिशत ई.सी. अथवा डायमिथ®एट 30 प्रतिशत
ई.सी. की 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी मे ं
अथवा इमिडाक्ल®प्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एलअथवा
एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एस. पी. की 5
मिली./ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में
मिलाकर छिडकाव करें एवं आवश्यकतानुसार
छिडकाव  को द®हराएं ।

रेड स्पाइडर
माइट

यह माइट पौधे की पत्तियों की निचली
सतह पर भारी संख्या में कालनी
बनाकर रहता हैं। यह अपने मुखांग से
पत्तियों की कोशिकाओ में छिद्र करता
हैं । इसके फलस्वरुप जो द्रव निकलता
है उसे माइट चूसता हैं। क्षतिग्रस्त
पत्तियां पीली पडकर टेढ़ी मेढ़ी हो जाती
हैं। अधिक प्रकोप होने पर संपूर्ण पौधा
सूख कर नष्ट हो जाता हैं।

इसकी रोकथाम हेतु डाइकोफॅाल 18.5 ईसी.
की 2.0 मिली मात्रा प्रति लीटर
अथवा घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम मात्रा
प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव
करें एवं आवश्यकतानुसार छिडकाव को
दोहराएं ।


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